उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय का नाम बदला: अब सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाएगा
उज्जैन के ऐतिहासिक और शिक्षण केंद्र विक्रम विश्वविद्यालय को अब एक नया नाम मिला है। विश्वविद्यालय को अब “सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय” के नाम से जाना जाएगा। यह नामकरण उज्जैन के महान शासक सम्राट विक्रमादित्य की स्मृति और गौरव को समर्पित है।
लंबे समय से हो रही थी मांग
समाज के विभिन्न वर्गों और इतिहास प्रेमियों द्वारा यह मांग लंबे समय से की जा रही थी कि विक्रम विश्वविद्यालय का नाम सम्राट विक्रमादित्य के पूर्ण नाम पर हो। इस पर सबसे निर्णायक पहल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा की गई, जिन्होंने 30 मार्च को 29वें दीक्षांत समारोह में इसकी घोषणा की थी।
कानूनी प्रक्रिया हुई पूरी
नाम परिवर्तन का प्रस्ताव विश्वविद्यालय की आपात कार्यपरिषद बैठक में पारित किया गया, जिसकी अध्यक्षता कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने की। यह प्रस्ताव शासन को भेजा गया, जिसे मुख्यमंत्री ने कैबिनेट में अनुमोदित कर दिया और 4 अगस्त को विधानसभा में विधेयक पारित कर दिया गया। अब राज्यपाल की स्वीकृति के बाद सभी दस्तावेजों में आधिकारिक रूप से नाम बदल जाएगा।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
विक्रम विश्वविद्यालय की स्थापना 1 मार्च 1957 को हुई थी। इसकी आधारशिला 23 अक्टूबर 1956 को तत्कालीन गृह मंत्री गोविंद वल्लभ पंत ने रखी थी। उस समय मध्यभारत राज्य के राजप्रमुख स्व. जीवाजीराव सिंधिया समारोह के अध्यक्ष थे।
विश्वविद्यालय परिवार ने जताया आभार
नाम परिवर्तन की घोषणा के बाद विश्वविद्यालय के अधिकारियों, शिक्षकों और छात्रों में उत्साह है। सभी ने मुख्यमंत्री और शासन का आभार व्यक्त करते हुए इसे उज्जैन और सम्राट विक्रमादित्य की ऐतिहासिक धरोहर को सम्मान देने वाला निर्णय बताया।
